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Wednesday 13 October, 2010

जीवन का सत्य क्या हे

खुश रहने के आ़ठ तरीके 
1. जीवन तभी बदल जाता है जब आप बदलते हैं। न हो तो करके देखें। 
2. मन व मस्तिष्क सबसे बड़ी संपत्ति है, इसे मान लेंगे तो खुश रहेंगे आप। 
3. किसी की भी आत्मछवि जो उसने खुद बनाई होती है उसके खुश रहने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। अपनी छवि ऐसी बनाएं जो आपको हताश-निराश न करके खुशियां दे। 
4. सम्मान करना व क्षमा करना सीखें व खुश रहें।
5. जैसा सोचेंगे वैसे ही बनेंगे आप। अगर गरीबी के बारे में सोचेंगे तो गरीब रहेंगे और अमीरी के बारे में सोचेंगे तो अमीर रहेंगे। 
6. असफलता आती और जाती है यह सोचें और खुश रहने की कोशिश करें। 
7. जितने भी आशीर्वाद आपको मिले हैं आज तक, उनकी गिनती करें, उन्हें याद करके खुश रहें।
8. यदि आप पूरे जीवन की खुशी चाहते हैं चाहते हैं तो काम से प्यार करना सीखें।




                                                                                                      RAVI

10 comments:

  1. हर एक चहरे को ज़ख्मों का आईना ना कहो
    यह ज़िन्दगी तो है रहमत इसे सज़ा ना कहो
    ना जाने कौन सी मजबूरियों का बोझ हो
    वोह साथ छोड़ गया है तो बेवफा ना कहो
    तमाम शहर ने निजाओं पर क्यों उछाला है मुझे
    ये इत्तेफाक था तुम इसको हादसा ना कहो
    ये और बात के दुश्मन हुआ है आज मगर
    वो मेरा दोस्त था कल तक उसे बुरा ना कहो
    हमारे ऐब हमें उँगलियों पर गिनवाओ
    हमारी पीठ के पीछे हमे बुरा ना कहो
    मै वाकियात कि ज़ंजीर का नहीं कायल
    मुझे भी अपने गुनाहों का सिलसिला ना कहो
    ये शहर वो है जहाँ राक्षस भी है रहते
    हर एक तराशे हुए बुत को देवता ना कहो.

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  2. शब्द क्या मात्र एक शब्द है? शब्द से वाक्य की निर्मति होती है और वाक्य से
    वर्णन, ग्रन्थ, काव्य, व्यंग, हास, परिहास, व्यंजना, अभिव्यंजना, अभिधा,
    लक्षणा और विवाद का भी जनन होता है. शब्द के प्रयोग से पूर्व हम बहुत उदार
    मना होते है और कभी-कभी शब्द बाण से दशकों पुराने सम्बन्धों का विच्छेद हो
    जाता है.

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  3. जो ख्याल थे न कयास थे, वो ही लोग मुझ से बिछ्र गए
    जो मोहब्बतों की एहसास थे, वोही लोग मुझ से बिछर गए
    जिन्हें मानता ही नहीं है दिल, वोही लोग हैं मेरे हम सफ़र
    मुझे हर तरह से जो रास थे, वोही लोग मुझ से बिछर गए
    मुझे लम्हा भर की राफक्तों के सरब और सतायंगे
    मेरी उम्र भर की जो प्यास थे, वोही लोग मुझ से बिछर गए
    यह ख्याल सरे हैं आरजी, यह गुलाब सारे हैं काग़ज़ी
    गुल-ए-आरज़ू की जो बहार थे, वोही लोग मुझ से बिछर गए
    जिन्हें कर सका न कबूल मैं, वोह शरीक-ए-राह- ए-सफ़र हुवे
    जो मेरी तलब मेरी आस थे, वोही लोग मुझ से बिछर गए;
    मेरी धरकनो से करीब थे, मेरी चाह थे, मेरे खवाब थे
    वोह जो रोज़-ओ-शब् मेरे पास थे, वोही लोग मुझ से बिछर गए!!!!
    कुछ वक़त बदला कुछ हम भी बदले।
    ज़िंदगी की भागदौड़ भी कुछ थमी।
    ढेर सारे साथी भी हैं जो हर पल के लिये हमारे साथ हैं।
    फ़ुर्सत के पल बहुत कम हैं लेकिन जब तन्हाई कभी आयी तो बस याद आ गये वही धुँधले से पल।हम सिर्फ़ यही कह पाये, “काश ……. !!!

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  4. इतने दोस्तो मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझे
    इतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे

    छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे
    अब डूब रहा हु तो एक सािहल की तलाश है मुझे

    लडना चाहता हु इन अन्धेरो के गमो से
    बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे

    तग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मै
    अब एक हसीन िजन्द्गी की तलाश है मुझे

    दीवना हु मै सब यही कह कर सताते है मुझे
    जो मुझे समझ सके उस शख्श की तलाश है मुझे||

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  5. 1.Janaje ko woh mere rukwa ke bole,
    ye launtenge kab tak, kaha ja rahe ho.

    2.Koi aahat koi aawaz koi chah nahi,
    Dil ki galiya badi sunsan hai aaye koi.

    3.Khushi se aag lagao iss muhalle me,
    Mera makaan hi nahi tumhara ghar bhi hai.

    4.Pahle to khushi me bhi nikal aate the aasu,
    Aab ranj bhi hota hai to rona nahi aata.

    5.Kata samaz kar hamse n daman bachaiye,
    Gujri hui bahar ki ek yadgar hu.

    6.Baichainiya samet ke sare zaha ki,
    Jab kuch n ban saka to mera dil bana diya.

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  6. फूल मुझे पसंद नहीं,
    मै कांटो का दीवाना हू!
    मै जलने वाली आग नहीं,
    जल जाने वाला परवना हु!
    ख्वाब मुझे पसंद नहीं,
    मै हकीकत का आशियाना हु!
    मै मीटने वाली हसरत नहीं,
    जीने वाला अफसाना हु!
    मै थमने वाला वक़्त नहीं,
    न छु पाने वाला कीनारा हु!
    मै रूकने वाली सांस नहीं,
    सदा दील मे धडकने वाला सहारा हु!..
    नीगाहे बचाकर जो चलते है हमसे ,
    कभी उनको हमसे मोहोब्बत हुई थी
    जो महबूब से अजनबी हो गए है
    कभी उनको हमसे मोहोब्बत हुई थी.

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  7. ये मानता हूँ दुआ बेअसर नहीं होती
    मगर कबूल कभी वक्त पर नहीं होती

    हमारी आँखों में दरिया का सूखना देखो
    कि आंसुओं से भी आँख तर नहीं होती

    वो जान लेता है कैसे कुछ ऐसी बातें भी
    हमें भी जिनकी कोई भी खबर नहीं होती

    अजीब बात है ये आँख की गवाही भी
    खिलाफे दिल हो तो मो तबर नहीं होती

    बदल गई है फज़ा मौसमों के साथ अपनी
    कि अब सबा भी तिरी नामाबर नहीं होती

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  8. Kabhi kabhi mere dil me khayal aata h....
    Nhi bataunga...

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  9. This comment has been removed by the author.

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  10. जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
    शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
    अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है!

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